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“मृत्यू के 40 दिनों के बाद अग्निसंस्कार”

पुत्र पुनित मेहरा के अथक प्रयत्न

किरीट नामा–21

March 5, 2020

40 दिनों तक निरंतर प्रयत्न करने के बाद पुत्र पुनित मेहरा की, अपनी माताजी स्व. रिटा मेहरा का अंतिम संस्कार, अपनी मातृभूमी पर करने की इच्छा पूर्ण हुई. 

 

          रिटा मेहरा अपने पुत्र पुनीत के साथ मेलबर्न से हवाई जहाज से मुंबई के लिए यात्रा कर रहीं थी. उन्हें हवाई जहाज में दिल का दौरा पडा. झेंगझोउ (चीन) में विमान की इमर्जन्सी लॅण्डिंग की गई. अस्पताल में भर्ती करते ही उन्हें मृत घोषित किया गया.

 

कोरोना के कारण निर्मित प्रश्न, समस्याओं की अलग अलग कथाएं हैं. करोनाबाधित व्यक्ती के संपर्क में आए हुए लोग ही उन समस्याओं को समझ सकते हैं. परंतु रिटा मेहरांजी को  विमान में पडा दिल का दौरा व उसके बाद हवाई जहाज की इमर्जन्सी लॅण्डिंग. उनके मृत होने की घोषणा चीन के झेंगझोउ अस्पताल में की गई, और इस कारण से जिन नई समस्याओं ने जन्म लिया, उस कारण उनके अंतिम संस्कार में 40 दिन लग गए. यही वह व्यथा है, और यही है उसकी कथा...

  • डॉ. पुनित मेहराजी की माताजी रिटा मेहरा का पार्थिव एक अस्पताल में रखवाने की व्यवस्था की गई.
  • उसके बाद पुनित मेहरा को विवरण (बयान) देने के लिए पुलीस स्टेशन ले जाया गया.
  • उन्हें यह बताया गया की पार्थिव भारत में वापस ले जाने के लिए भारतीय दूतावास की अनुमती आवश्यक होती है. उसी प्रकार उन्हें यह भी बताया की शवविच्छेदन (Post Mortem) की प्रक्रिया पूरी होने के लिए कम से कम एक महिना प्रतीक्षा करनी पडेगी.
  • श्री पुनित 12 दिनों तक चीन में थे और अपनी माताजी का पार्थिव मुंबई ले जाने के लिए निरंतर प्रयत्न कर रहे थे.
  • शवविच्छेदन (Post Mortem) करके मृत्यु प्रमाण-पत्र देने के लिए कोई भी तैयार नही था.  भारतीय दूतावास ने भी असमर्थता व्यक्त कर दी थी. इस परिस्थिती में पुनित अपनी माताजी का पार्थिव अस्पताल के शवागृह में रखवाकर मुंबई लौटे.
  • मुंबई लौटने के बाद उन्होंने अपनी मौसी बबली अरोराजी से बात की.
  • श्री पुनित और रिटा जी की बहन बबली अरोरा ने मेरे एक व्यावसायिक सहयोगी श्री डी. पी. सिंग के माध्यम से मुझसे १५ फ़रवरी को संपर्क किया.
  • स्व. रिटाजी के पार्थिव भारत में लाने हेतु हमने प्रयत्न शुरु किए.

इस हेतु हमने तुरंत कार्यवाही शुरु की -

  •  श्री. मुरलीधरन, विदेश राज्यमंत्री
  • सहसचिव, विदेश मंत्रालय, चीन
  • बिजींग (चीन) के भारतीय दूतावास के साथ निरंतर समन्वय.
  • मेरे दिल्ली कार्यालय के कार्यालय सचिव श्री. पंकज बिश्ट द्वारा प्रतीदिन Follow Up की कार्यवाही.

स्व. रिटा मेहरा का मृतदेह भारत में लाने के लिए भारतीय राजदूतावास, चीन को भेजा गया ई-मेल (पत्र)

मेरे  पहले प्रतिसाद के उपरांत रिटा जी की बहन बबली अरोरा जी की प्रतिक्रिया

स्व. रिटा मेहरा

  • दो दिन में भारतीय दूतावासा के अधिकारी श्री. अरविंद कुमारजी ने हमें व श्री. पुनित मेहरा को जानकारी दी और कुछ सूचनाएं दी.
  • एक समय ऐसा भी आ गया था की, चीन के झेंगझोउ और बिजिंग के स्वास्थ विभाग, पुलिस विभाग, 
  • विदेश मंत्रालय... सभी आधिकारियों ने  असमर्थता जता दी थी. वे कह रहे थे की इस प्रक्रिया में कितने हफ़्ते लगेंगे, कहा नहीं जा सकता. बिजींग स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी भी असहाय हो गए थे.

भारतीय राजदूत श्री. अरविंद कुमार द्वारा श्री पुनित मेहरा और हमारे कार्यालय को भेजा गया असमर्थता जतानेवाला पत्र

  • भारत सरकार, बिजिंग में भारतीय दूतावास से संपर्क करके और चीन में अधिकारियों के साथ समन्वय साध कर आखिर रिटाजी का पार्थिव भारत में लाने के लिए विशेष सहयोग और  अनुमती मिल ही गई.
  • भारतीय दुतावास ने 3 मार्च, 2020 को हमें सूचित किया की स्व. रिटा मेहराजी का पार्थिव  मुंबई लाने के लिए अनुमती मिल गई है और सभी आवश्यक कार्यवाही हो गई है. उनका पार्थिव मुंबई भेजा जा रहा है.
  • भारतीय दूतावास ने हमें सूचीत किया की स्व. रिटा मेहरा का मृतदेह 4 मार्च को  दोपहर 3.00 बजे Etihad flight EY-208 द्वारा मुंबई पहुंच जाएगा. 
  • 4 मार्च को दोपहर हवाईजहाज से मुंबई हवाईअड्डे पर शवपेटी (Coffin) में बंद स्व. रिटा मेहराजी का मृतदेह/पार्थिव पहुंचा और वहां से  शाम 7.30 बजे वांद्रा (पश्चिम) ले जाया गया.
  • अंतिम संस्कार के लिए परिवार के 30 से 40 लोग और कुछ परिजन सांताक्रूझ (पश्चिम) स्थित हिंदू स्मशानभूमी में स्व. रिटा मेहराजी का पार्थिव लेकर पहुंचे.
  • सातांक्रूझ, मुंबई स्थित हिंदू स्मशानभूमी में अंतिम संस्कार किया गया.

सांताक्रूझ स्थित हिंदू स्मशानभूमी में अंतिम संस्कार

  • पुत्र श्री पुनित मेहरा निरंतर हमारे संपर्क में थे.

कभी कभी ईश्वर भी हमारी परिक्षा ले लेता है.

  • श्री पुनित 5 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे थे. उन्हें ऑस्ट्रेलिया से मुंबई वापस लेने के लिए माताजी रिटा मेहरा मेलबर्न गई थी. पुत्र को लेकर वे मेलबर्न-बीजिंग-मुंबई मार्ग से हवाई जहाज  द्वारा लौट रहीं थी. यात्रा के समय उन्हें दिल का दौरा पडा और उनकी मृत्यू हो गई. परंतु अंतिम संस्कार के लिए मृतदेह स्वदेश में मुंबई लाना असंभव हो गया था.
  • कोरोनाग्रस्त चीन से ऐसी विचित्र परिस्थिती में माताजी का पार्थिव मुंबई नहीं आ पाएगा, इस बात से निराश होकर पुनित मुंबई पहुंचा था.
  • परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी. विभिन्न लोगों से मदत मांगी. इस परिस्थिती में ईश्वर ने यह कार्य/सेवा करने की संधी हमें प्रदान की.
  • इस ईश्वरी काम में हमें भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, बीजींग (चीन) स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी, विशेषरुप से श्री. अरविंद कुमारजी ने मानवता के दृष्टीकोण से मदत की.
  • ईश्वर कृपा से हम माताजी रिटा मेहरा का पार्थिव मुंबई ला सके. हिंदू शास्त्रों की पद्धती के अनुसार अंतिम संस्कार कर सके, परिवार को समाधान दिला सके, इस बात का हमें संतोष है.

स्व. रिटा मेहरा के पुत्र और पती