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“एक घर बहुत से लोगों को बेचा

किरीटनामा- 17

· hindi

हमारे 12 महिनों तक संघर्ष करने के बाद श्री महेश पाटील को अपने 23 लाख 50 हजार रुपये वापस मिले

एक घर/सदनिका अनेक लोगों को बेच कर धोखाधडी का अनुभव बहुत से लोगों को आता है. इस हेतु चुकाई गई रकम पुन: पाने के लिए “भगीरथ” की तरह प्रयत्न करने पडते हैं. इसी प्रकार का अनुभव श्री महेश पाटील जी को और हमें हुआ. महेश और उनकी पत्नी सौ. मयूरी पाटील के दृढनिश्चय, लगन और उनके साथ हुए अन्याय के विरुद्ध निरंतर संघर्ष की प्रवृत्ती कारण 18 महिनों के बाद  उनके 23 लाख 50 हजार रुपए वापस मिल पाए.

कथा श्री महेश पाटीलजी के संघर्ष की

  • श्री महेश पाटील जी परिवार के साथ मुलुंड-पूर्व में रहते हैं.
  • मुलुंड पूर्व में उन्होंने अपने लिए अक अलग फ्लॅट/सदनिका खरीदने की योजना बनाई. उन्होंने मुलुंड-पूर्व की एक गृह संस्था (Society) “भाविनी एनक्लेव” में वहां के एक निवासी श्री सावंत का फ्लॅट खरीदने का निर्णय लिया.
  • श्री महेशजी ने  23 लाख 50 हजार रुपये की रकम अग्रिम (Advance-टोकन) के स्वरुप में सावंत परिवार को दी.
  • बँके में गृहकर्ज के लिए आवेदन करने हेतु उन्होंने श्री सावंत से आवश्यक कागजात मांगे.
  • श्री पाटीलजी ने सावंत परिवार से खरेदी-खत (Agreement to Sale) और कुछ और जरुरी कागजात की मांग की. कुछ कागजात उन्हें दिए गए.
  • कर्जा देनेवाली बँक को, भाविनी एनक्लेव कॉ.ऑप.हौ. सोसायटी की तरफ़ से, “अनापत्ती प्रमाण-पत्र” (No Objection Certificate) की आवश्यकता थी जिसे सावंत परिवार नहीं दे पाया.
  • श्री महेश पाटील घर के लिए कर्ज पाने के लिए प्रयत्नशील थे, पर तभी किसी व्यक्ती के माध्यम से उन्हें यह पता चला की जो घर वो श्री सावंत से खरीद रहे हैं वही घर सावंत परीवार 2016 में श्री. विवेक विद्याधर पाटील नाम के व्यक्ती को बेच चुका हैं.
  • श्री. विवेक पाटील को बँक ऑफ इंडिया की गिरगाव शाखा की तरफ़ से 90 लाख रुपये का कर्जा भी मंजूर हो चुका था.
  • 90 लाख रुपयों का धनादेश (Cheque) 17 मई 2016 को बँक ऑफ इंडिया की गिरगाव शाखा की तरफ़ से  सावंत परिवार के खाते (Account) में जमा किया गया था.

बँक ऑफ इंडिया की तरफ़ से श्री सावंत को दिया गया चेक

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यह बडे ही आश्चर्य की बात थी. सावंत परिवार ने 2016 मध्ये अपना घर श्री विवेक विद्याधर पाटील को बेच दिया था. विवेक पाटील और श्री सावंत की तरफ़ से बँक ऑफ इंडिया की गिरगाव शाखा को घर के कागजात दिए गए थे. 90 लाख रुपये प्राप्त करके श्री विवेक पाटील इस घर के कर्जे की किश्तें भी कुछ महिनों तक भर चुके थे. परंतु, श्री सावंत ने घर खाली नही किया था और श्री विवेक पाटील ने उन्हें ऐसा करने का आग्रह भी नही किया था. सावंत और विवेक पाटील ने बँक ऑफ इंडियाकडून से प्राप्त रुपए आपस में बांट लिए थे. यही घर अब सावंत परिवार श्री महेश पाटील को बेचकर उनके साथ धोखा कर रहा था.         

          सावंत परीवार ने श्री महेश पाटील से 28 अगस्त 2016 को 23 लाख 50 हजार रुपये की रकम अग्रिम (Advance) ली. बँके से गृह कर्ज के लिए सहयोग देने का नाटक किया. जब श्री महेश पाटील को सोसायटी के अनापत्ती प्रमाणपत्र  (No Objection Certificate) की आवश्यकता पडी तब इस धोखे की उन्हें जानकारी हुई.

          श्री. महेश पाटील को विक्रोली स्थित पंजीकरण कार्यालय (Registration Office) से यह जानकारी मिली की इस घर की बिक्री श्री विवेक पाटील को करने हेतु खरेदी खत (Agreement to Sale)   बनकर पंजीकृत (Registered) हो चुका है.

  • सावंत परिवार ने श्री विवेक पाटील को यह घर 1 करोड 20 लाख रुपए में बेचा, ऐसा दर्शाया गया था.
  • इस संबंध में सभी प्रकार के आवश्यक कागजात, खरेदी खत, पंजीकरण आदि की कार्यवाही पूर्ण की गई थी और अभी कागजातों का दस्तवेजीकरण (Documentation) किया गया था.
  • श्री महेश पाटीलजी से 23 लाख 50 हजार रुपये लेने के बाद सावंत परिवार ने यही घर श्री. विवेक म्हात्रे को बेचने के लिए उनके साथ बातचीत शुरु कर दी थी.
  • म्हात्रे परिवार से रकम 1 लाख रुपये अग्रिम (Advance) रुप से ले ली गई थी.
  • इधर श्री महेश पाटील ने अपनी एक दुसरी बँक के पास घर के कर्जे के लिए आवेदन किया था. उनका कर्जा मंजूर भी हो गया. परंतु, सावंत परिवार इस संबंध में जरुरी कागजात देने के लिए टाल रहा था.
  • उस समय श्री महेश पाटील को कुछ संदेह हुआ और उन्होंने इस सौदे को तोड दिया.
  • उन्होंने श्री सावंत से 23 लाख 50 हजार लौटाने को कहा.
  • कई दिन बीत जाने के बाद भी सावंत परिवार पैसे नहीं लौटा रहा था.
  • इस बात से श्री महेश पाटील चिंताग्रस्त हो गए. वे मुझसे मिलने आए और सारी परिस्थिती कथन की.

श्री महेश पाटील का आवेदन पत्र

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मैंने उनसे सारी जानकारी ली और उनके आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित अधिकारियों को पत्र लिखे और आगे की कार्यवाही शुरु की.

  • डी.सी.पी. पोलीस, जोन VII, मुलुंड
  • श्री. दिनबंधू मोहपात्रा, मॅनेजिंग डिरेक्टर/सी.इ.ओ. बँक ऑफ इंडिया
  • जोनल मॅनेजर, बँक ऑफ इंडिया
  • निबंधक सहकारी संस्था
  • मैंने स्वयं बँक ऑफ इंडिया की गिरगाव शाखा को सावंत की धोखाधडी की जानकारी दी.
  • परंतु बँक ऑफ इंडियाने का कहना यह था की बँक की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं बनती क्योंकी श्री सावंत और और श्री विवेक पाटील के बीच घर बेचने की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात श्री महेश पाटील ने श्री सावंत को पैसे दिए हैं.

बँक ऑफ इंडिया का पत्र

“हमारी कोई गलती नही”

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  • बँक ऑफ इंडिया ने 8 मार्च, 2018 को हमें एक पत्र लिखकर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने का प्रयत्न किया. उनका यह जवाब था Agency की तरफ़ से सभी कागजातों की जांच ठीक तरह से हुई है और इसमें कोई गलती नहीं है.
  • बँक ऑफ इंडिया के स्थानीय अधिकारियों ने बिना जांच किए जाली कागजातों के आधार पर श्री विवेक पाटील को कर्जा दे दिया था. इसके बाद जो आगे की कार्यवाही की जानी चाहिए थी उसकी तरफ़ भी बँक ने अनदेखी की.
  • विवेक पाटील ने गृह कर्ज (Home Loan) के नाम पर बँक से कर्जा लिया था यह बात जानते हुए भी बँक के संबंधित अधिकारियों ने पूरी तरह से अनदेखी की.
  •  बँक से जाली कागजातों के आधार पर कर्ज लेकर कुछ महिनों तक किश्तें चुकाने के बाद  Defaulter बनकर किश्तें नही चुकाना” यही तरीका ये लोग अपनाते हैं.      
  • बँक  के स्थानीय अधिकारी उनकी मद करते हैं.
  • उपरोक्त मामले में भी सावंत परिवार, विवेक पाटील और बँक ऑफ इंडिया के स्थानीय अधिकारियों की सांठ-गांठ से यह साजीश रची. यही कारण था की बँक के बडे अधिकारी और पुलीस मुझे तथा श्री महेश पाटील की  सहायता कर रहे थे.
  • बँक की सहायता से गृह कर्ज लेकर फ्लॅट लेना, किसी एक का घर दोन से चार व्यक्तियों को दिखाना, बेचना, धोखाधडी करते हुए उनसे अग्रिम रकम (Advance) ले लेना, इ तरह की मिलीभगत सावंत परिवार व विवेक पाटील के साथ स्थानीय अधिकारी करते थे.
  • यह साजिश हमने सफ़ल नहीं होने दी और सीधे-साधे, ईमानदार व्यक्ती श्री महेश पाटील को न्याय दिलाया.
  •           बर 2016 में पुन: सावंत ने श्री. विनय म्हात्रे के साथ फ्लॅट बिक्री के बारे में आर्थिक व्यवहार किया और उनसे टोकन के रुप में 1 लाख रुपये लिए थे. वे पैसे सावंत ने अभी तक नही लौटाए हैं इस प्रकार की शिकायत मुलुंड पुलीस स्टेशन में लिखाई गई है.  

          इस बात से यह सिद्ध होता है की कुल मिलाकर  सावंत ने तीन लोगों के साथ धोखाधडी की.

  • सावंत ने सोसायटी के नाम से जाली NOC बनवाकर विवेक पाटील को दी.
  • विवेक पाटील ने जून 2016 में सावंत को लेन-देन का व्यवहार रद्द कर दिया और इस बात की जानकारी सावंत को दी.
  • बॅंक से पैसे मिलने के पश्चात दोन महिनों के बाद सावंत परिवार व विवेक पाटील के बीच एक सहमती पत्र (Agreement) तैयार किया गया जिसके अनुसार फ्लॅट की खरीदी-बिक्री का व्यवहार रद्द कर दिया गया.
  • सावंत परिवार ने विवेक पाटील के विरुद्ध मुलुंड पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई की जिसमें यह लिखवाया की विवेक पाटील ने  सोसायटी के जाली कागजात तैयार किए हैं. परंतु यह जानकारी बँक को और सोसायटी को नही दी.
  • इस तरह से मूल कागजात के साथ विवेक पाटील व सावंत परिवार ने यह साजिश रची. सावंत का फ्लॅट खरीदने के लिए बँक ऑफ इंडिया के माध्यम से गृहकर्ज 90 लाख रुपये लिए गए व वे पैसे सावंत के आयसीआयसीआय बँक के खाते में जमा किए गए. फ़िर उसमें से 50 लाख रुपये सावंत आणि 40 लाख रुपये विवेक पाटील दोनों के बीच बांट लिए गए.
  • सावंत ने सिटी सिव्हील कोर्ट नं. 37 में जो पत्र दिया उसमें यह सब बताया था.
  • सावंत ने श्री. विवेक पाटील से 50 लाख रुपये व्यक्तीगत तौर पर  5% ब्याज पर कर्जे के रुप में लिए थे और उसके बदले अपना फ्लॅट गिरवी रखा था.
  • उसके बाद तुरंत ही 16 जून 2016 को विवेक पाटील ने नए जाली कागजात तैयार किए जिसमे यह कहा गया था की उन्हें फ्लॅट की आवश्यकता नहीं है, वो पैसे सावंत को वापस लौटा रहे हैं, इस फ्लॅट पर उनका कोई अधिकार नहीं है और सावंत वो फ़्लॅट जिसे चाहे बेच सकते हैं.
  • श्री महेश पाटील व मैं, पुलिस अधिकारी, बँक ऑफ इंडिया के व्यवस्थापकीय संचालक (Managing Director), बँक ऑफ इंडिया के मुख्य दक्षता अधिकारी (Chief Vigilance Officer), बँकिंग मिनिस्टर (भारत सरकार) इन सभी से संपर्क बनाकर कार्यवाही के लिए आग्रह करते रहे. सावंत के द्वारा श्री महेश पाटील के साथ धोखाधडी की गई है, तो सावंत परिवार, विवेक पाटील और बँक ऑफ इंडिया के स्थानीय अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए, ये हमारी प्रमुख मांग थी.
  • और इस प्रकार से विभिन्न पुलिस अधिकारी, बँक ऑफ इंडिया चे प्रमुख अधिकारियों से सतत संपर्क और आग्रही रहने के कारण आखिर में City Civil Court नं 37 ने फ़ैसला सुनाया.
  • 18 फ़रवरी 2019 को 23 लाख 50 हजार रुपये सावंत ने श्री महेश पाटील को वापस लौटाए.

इस पूरी घटना में बँक ऑफ इंडियाचे Chief Vigilance Officer श्री. देवेंद्र शर्मा जी का सहयोग बहुमूल्य था.

बँक ऑफ इंडियाचे मुख्य दक्षता अधिकारी द्वारा लिखित पत्र – घोटाला  होने की बात स्वीकारी

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  • जिस बँक ऑफ इंडिया ने 8 मार्च, 2018 को लिखे पत्र में यह कहकर की हमारी कोई गलती ही है, सावंत परिवार, विवेक पाटील और बँक के घोटालेबाज अधिकारियों को बचाने का प्रयत्न किया था, उसी बँक ऑफ इंडिया के मुख्य दक्षता अधिकारी (Chief Vigilance Officer) ने यह स्वीकार किया की घोटाला हुआ है. उन्होंने इस संदर्भ में कार्यवाही  करने के निर्देश दिये श्री महेश पाटील को न्याय दिलाने की कार्यवाही करने के बँक ऑफ इंडिया को आदेश दिये.
  • उन्होंने हमारी/महेश पाटील की शिकायत दर्ज की.
  • बँके के महाव्यवस्थापक (General Manager) को इस धोखाधडी की जांच करने के आदेश दिये.
  • बँके के Chief Vigilance Officer श्री. देवेंद्र शर्माजी ने ये स्वीकार किया की धोखाधडी की गई है और तुरंत जांच के आदेश दिए. बँक को गिरगाव पुलिस स्टेशन में धोखाधडी की शिकायत दर्ज कराने के निर्देश दिए गए.
  • गिरगाव पुलिस ने बँक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने दक्षता अधिकारियों के आदेशानुसार संबंधित लोगों के खिलाफ़ शिकायत दर्ज की गई.
  • गिरगाव पुलिस ने पूछताछ और जांच शुरु की. भाविनी एनक्लेव कॉ. ऑप. हौ. सो., मुलुंड –पूर्व, स्थित सावंत के फ्लॅट को बँक ऑफ इंडिया और पुलिस की मदद से जप्त करने की कार्यवाही शुरु की.
  • अखिर श्री महेश पाटील को न्याय मिला, फ्लॅट के पैसे वापस मिले और पुलिस की मदद से दोषियों पर  फौजदारी कार्यवाही पूरी की गई.           

          श्री महेश पाटील अपनी पत्नी के साथ मुझसे मिलने आए और मेरे आभार मानने लगे. वे  बोले,

“साहब, आप मजबूती से हमारे साथ खडे थे इसलिए यह सब संभव हो पाया, अन्यथा हम कहीं के नहीं रहते.”

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