आज 10 दिसंबर 2019 मुझे श्रीमती ललिता अनिल लोगवी की तरफ़ से व्हाट्सऍप पर “कुमार आयुष लोगवी” के पहले जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का निमंत्रण मिला.
श्रीमती ललिता लोगवी द्वारा भेजा गया SMS
मन में विभिन्न भावनाएं व विचार उठने लगे. दिसंबर 2018 की घटना मेरी आखों के सामने आ गई.
- 14 दिसंबर 2018 को श्रीमती ललिता लोगवीं ने एक लडका और एक लडकी यानी जुडवां बच्चों को जन्म दिया.
- प्रसूती के पश्चात तीनों की तबीयत बिल्कुल ठीक थी.
- एक वर्ष पूर्व 18 दिसंबर 2018 को “कामगार बीमा विभाग” के मरोल, मुंबई स्थित हॉस्पिटल में आग लग गई थी.
- इस तरह से अचानक लगी हुई आग के कारण हॉस्पिटल धुएं के गुबार से भर गया.
- आग और धुएं के कारण अनेक लोग, मरीज जख्मी हो गए.
- श्रीमती ललिता लोगवी का कमरा भी धुएं से भर गया था और उन्हें तथा उनके शिशुओं को सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी.
- आग बुझाने के लिए और मरीजों को बचाने के लिए भागदौड शुरु हो गई.
- श्रीमती ललिता और उनके दोनों शिशुओं को पास के दूसरे हॉस्पीटल में ले जाया गया.
- परंतु नवजात शिशुओं को धुएं के कारण श्वासोच्छवास की तकलीफ़ होने लगी. वे गंभीर रुप से जख्मी हो गए थे.
- उन जुडवां बच्चों में से बच्ची की दु:खद मृत्यू हो गई और दूसरा बच्चा “कुमार आयुष” बच गया.
- 10 दिसंबर 2019 को श्रीमती ललिता अनिल लोगवी की तरफ़ से इस दुर्घटना में सकुशल बच गए बच्चे के पहले जन्मदिवस के अवसर पर “सत्यनारायण पूजा” रखी गई थी और उस पूजा के लिए मुझे आमंत्रित किया था.
मन में विभिन्न भावनाएं, बच्चों को बचाने के लिए की गई भागदौड, “कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC)” से संबंधित हॉस्पिटल की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार, सरकारी लालफ़ीताशाही से लोगवी परिवार का सामना और उन पर उसका परिणाम, लालफ़ीताशाही के कारण उत्पन्न समस्याएं, ये सभी बातें मेरी नजरों के सामने आ गई.
साथ ही मृत और जख्मी व्यक्तियों को दी जानेवाली मदत संबंधी सरकारी व्यवस्था द्वारा दी गई व्याख्या, सामान्य नागरिकों के सामने उत्पन्न समस्याएं और उनकी होनेवाली दौडधूप, ये अनुभव भी इसी घटना के कारण हुए.
- आग के कारण 11 लोगों की मृत्यू हो गई थी और 176 लोग घायल हो गए थे.
- “कामगार बीमा योजना” के अतिरिक्त आयुक्त, श्री. संजय कुमार सिन्हा ने आग के कारण मृतकों के परिजनों को रू. 10 लाख मुआवजा देने की और गंभीर रुप से जख्मी लोगों को 2 लाख रुपए की मदत करने की घोषणा की.
- “कामगार बीमा योजना” के “हॉस्पिटल व कामगार विभाग” ने उन दोनों बच्चों को हॉस्पीटल के माध्यम से सरकारी मदत के रुप में सिर्फ़ 2 लाख रुपये की मदत का प्रस्ताव दिया था.
- अस्पताल के अधिकारियों ने लोगवी परीवार को मदत देने का विरोध किया और कहा की श्रीमती ललिता लोगवी की बच्ची का जन्म, समय से पूर्व (Premature Birth) होने के कारण वो ज्यादा दिन तक जिंदा नही रह पाती. इस कारण उसे सिर्फ़ 2 लाख रूपयों की मदत का प्रस्ताव दिया था.
- जब इस बात की जानकारी मुझे मिली तो मैंने श्रीमती ललिता व अनिल लोगवी से संपर्क साधकर संपूर्ण जानकारी ली और उन्हें मदत करने का विश्वास दिलाया.
लोगवी परिवार को लिखा गया सांत्वना पत्र
- केंद्रीय श्रम मंत्रालय की संसदीय समिती का अध्यक्ष होने के नाते मैंने संबंधित कर्मचारी राज्य बीमा महामंडल के अधिकारियों को बताया की “अगर किसी व्यक्ती की चिकित्सा के दौरान आग के कारण या किसी दुर्घटनावश मृत्यु हो जाती है, तो उस व्यक्ती के वारिसों को मुआवजे की संपूर्ण राशी मिलनी चाहिए."
- इस हिसाब से लोगवी परिवार को 10 लाख रूपयों की मदत मिलनी चाहिए थी, परंतु उन्हें 2 लाख रूपयों की मदत मिली थी.
- हॉस्पिटल की सुरक्षा और मरिजों की सुरक्षा के संबंध में योजनाएं और उपाय इस बारे में विस्तृत रुप से चर्चा हुई. कुछ आवश्यक परिवर्तन करने के भी सुझाव दिए गए.
- इस घटना के परिपेक्ष्य में व्यवस्थापन प्रणाली (सिस्टम) के दृष्टिकोन के संबंध में कुछ सूचनाएं/ सुधार सुझाए गए. आज एक वर्ष के बाद विभाग ने बहुत सी सूचनाएं और सुधारों को स्वीकार करते हुए उन पर कार्य आरंभ कर दिया है.
- 23 नवंबर 2019 को समाचार-पत्रों में एक समाचार पढकर बहुत ही खुशी हुई -
“Mumbai’s ESIC hospital to pay full compensation to
fire victims kin”
“अग्निकांड के बली पीडित परिवारों को संपूर्ण नुकसान भरपाई (मुआवजा) देगा मुंबई का ईएसआयसी अस्पताल”
- कर्मचारी राज्य बीमा महामंडल ने (ईएसआयसी) उन दोनों बच्चों को पूर्ण 10 लाख रूपयों का मुआवजा देने का निर्णय लिया.
आखिर में लोगवी परीवार को 10 लाख रूपयों का धनादेश मदत के रुप में प्राप्त हुआ.
श्री अनिल लोगवी ने 10 लाख रूपयों की मदत मिलने के बाद मुझे फोन किया व बोले,
“साहब, आपके सहकार्य के कारण हम जैसे गरिब लोगों को यह मदत मिली है. हम आपके आभारी हैं.”