ये कहानी है एक 14 साल के बच्चे विराज की जो अकेला चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर फ़ंस गया था. वहां उसकी मदत करने या किसी प्रकार का मार्गदर्शन देने कोई उपलब्ध नहीं था. संवाद और भाषा ये दोनों ही समस्याएं वहां गहरी थी और इधर ठाणे में (मुंबई) उसके परिवार के लोग बेहद परेशान थे.
मुंबई के पास ठाणे स्थित शाह परिवार भगवान से यही प्रार्थना कर रहा था कि किसी तरह से उनका बेटा सुरक्षित वापस घर लौट आ जाए.
ऐसी घटना किसी भी बच्चे के साथ हो सकती है.
बच्चों के लिए अंतर्देशीय और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा के लिए अंतर्राष्ट्रीय एयर लाईन के कुछ नीयम हैं. वे नीयम इस प्रकार से हैं.....
“बच्चों की हवाई यात्रा के नीयम ”
- 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ हवाई यात्रा में किसी वयस्क व्यक्ति का साथ होना आवश्यक है.
- हवाई यात्रा का टिकट खरीदते समय बच्चे के माता और पिता को यह लिखित रुप में बताना होता है कि बच्चे के साथ कौन वयस्क व्यक्ति हवाईयात्रा के दौरान उपस्थित होगा.
- यदि बच्चे की उम्र 12 साल से ज्यादा हॊ ( 12 साल और 18 साल के बीच) तो वह अकेला हवाई यात्रा कर सकता है पर यात्रा का टिकट खरीदते समय बच्चे के माता और पिता को लिखित रुप से यह बताना होता है कि यात्रा शुरु करते समय कौन व्यक्ति बच्चे को एयर लाईन अधिकारियों के सुपुर्द करेगा और यात्रा समाप्ती के पश्चात कौन व्यक्ति बच्चे को एयरपोर्ट पर लेने आएगा.
- माता और पिता दोनों को अपने बच्चों की इस प्रकार की यात्रा की अनुमती एयर लाईन से पहले से लेनी होगी.
- बच्चे के माता पिता या अभिभावक बच्चों को यात्रा प्रारम्भ करते समय एयरपोर्ट पर एयर लाईन के संबंधित अधिकारियों को या स्टाफ़ को ही सौंप कर जाएंगे.
- विशेष रुप से अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के समय अगर इस प्रकार की प्रक्रिया पूरी नही की जाए तो एयर लाईन द्वारा यात्रा की अनुमती नहीं दी जाती.
"विराज शाह की कहानी”
11 अगस्त, 2019 (रवीवार) शाम 5.45 बजे के आस-पास मेरे बचपन के सहपाठी श्री रजनीकांत शाह का फ़ोन आया. मैं उस समय अलिबाग (रायगड) में था.
- उन्होंने बताया कि उनकी बहन डॉ. सोनल शाह का बेटा बडी मुसीबत में फ़ंस गया है.
- उनकी बहन का पुत्र विराज शाह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गणित विषय से संबंधित समारोह में विशेष मार्गदर्शन के लिए शंघाई (चीन) गया था.
- यह विशेष मार्गदर्शन 6 जुलाई, 2019 से शुरु हुआ था लगभग एक महिने के लिए था.
- आयोजकों ने कोर्स की समाप्ती के बाद विराज को शंघाई के एयरपोर्ट पर वापस पहुंचाने की व्यवस्था कर दी थी.
जब विराज शंघाई एयरपोर्ट के एयर-इंडिया के काउंटर पर पहुंचा तब वहां के स्थानीय चीनी स्टाफ़ ने उसे किसी भी प्रकार का सहयोग देने से मना कर दिया.
- काउंटर पर संबंधित संस्था के चीनी अधिकारियों ने विराज के अकेले आने के बारे में पूछताछ की.
- उन्होंने पूछा कि विराज को शंघाई एयरपोर्ट पर छोडने की जिम्मेवारी किसकी थी.
- उन्होंने सभी अधिकृत पत्रों की मांग की.
- अधिकारियों ने विराज को बोर्डिंग-पास देने से मना कर दिया.
- 14 साल के विराज को चायनीज भाषा नहीं आती थी. उसके लिए संवाद स्थापित करना बडा ही कठिन था.
- टेलीफ़ोन/ मोबाईल के माध्यम से विराज का अपने माता पिता से संपर्क नही हो पा रहा था.
- विराज के मोबाईल में भारत का “सिम कार्ड” वहां काम नहीं कर रहा था.
- किसी तरह एक अन्य यात्री की मदत से विराज ने अपने माता पिता डॉ. सोनल शाह और श्री स्मितेश शाह को संदेश भेजा.
विराज के माता पिता ने स्थानीय एयर इंडिया के अधिकारियों से, अपने मित्रों से और रिश्तेदारों से मदत के लिए संपर्क किया. इसी दौरान मेरे बचपन के स्कूल ( M. M. Pupils Own School, Khar, Mumbai) के मित्र ने मुझे मदत के लिए संपर्क किया. मैने उनसे संपूर्ण जानकारी विस्तार से भेजने को कहा.
नगरिक उड्ड्यन मंत्री श्री हरदीप पुरी जी के निजी सचिव श्री यशपाल दिवान को मैंने इस घटना की जानकारी दी.
- एयर इंडीया और नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय के मेरे परिचित व्यक्तियों से मैंने तुरंत संपर्क किया. मेरी बात एयर इंडिया के निदेशक श्री मुकेश भाटिया जी और नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय कुछ कर्मचारियों से हुई.
- श्री मुकेश भाटिया जी को समस्या तुरंत समझ आ गई. उन्होंने मुझसे समस्या का समाधान करने के लिए कुछ मिनटों का समय मांगा.
- सचमुच कुछ ही मिनटों में मुकेश भाटियाजी ने मुझसे संपर्क किया. उन्होंने विराज के पिताजी द्वारा एक सहमती पत्र लिखवाकर देने को कहा. पत्र में विराज के पिता को एयर इंडिया से यह बिनती करनी थी कि विराज को शंघाई से मुंबई तक अकेले यात्रा की अनुमती दी जाए, और साथ ही पत्र में यह भी बताना था कि मुंबई एयरपोर्ट पर विराज को लेने कौन आने वाला है.
- मैंने तुरंत मेरे मित्र श्री रजनीकांत को कहा कि वे जल्दी से जल्दी विराज के अभिभावकों द्वारा लिखित सहमती पत्र (चाहे वह पत्र हाथ से लिखा हुआ ही क्यों न हो) मुझे whatsapp पर भिजवाने की व्यवस्था करें. जल्दी ही डॉ. सोनल शाह द्वारा लिखित सहमती पत्र श्री. रजनीकांत के माध्यम से मुझे Whats App पर मिला जिसे मैंने बिना समय गंवाए श्री मुकेश भाटिया जी को भेज दिया.
- मेरे मित्र और एयर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी श्री मुकेश भाटिया जी ने समयसूचकता और संवेदनशीलता का जो परिचय दिया उसकी जितनी सराहना की जाए, कम ही होगी. उन्होंने एक मिनट भी गंवाए बिना वह पत्र सभी संबंधित अधिकारियों को भेज दिया और इस एयर इंडिया के अधिकारियों ने जिस तत्परता के साथ आगे की कार्यवाही की उससे मुझे अवगत कराया.
- कुछ ही मिनटों बाद श्री मुकेश भाटिया जी ने मुझे बताया कि चीन के एयर इंडिया के और स्थानीय चीनी अधिकारियों द्वारा विराज शाह का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
मुकेश भाटिया जी का संदेश इस प्रकार था.
अगले कुछ ही मिनटों में श्री रजनीकांत जी का मेसेज आया कि विराज को Boarding Pass दे दिया गया है..
मैं सतत रुप से और व्यक्तिगत स्तर पर श्री रजनीकांत, विराज के माता-पिता, श्री मुकेश भाटिया और नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय के अधिकारियों के संपर्क में था.
विराज के विमान में बैठने और विमान उडने तक मैं स्वयं, विराज के माता-पिता और श्री रजनीकांत सभी तनावग्रस्त थे.
आखिर 6.19 बजे विराज को Boarding Pass प्रदान किए जाने का संदेश श्री रजनीकांत ने भेजा.
रात करीब 9.00 बजे मुझे विराज के माता-पिता का संदेश आया कि विराज हवाईजहाज में बैठ गया है और अब थोडी ही देर में हवाई यात्रा शुरु होगी.
अगले दिन सोमवार को शंघाई से मुंबई अंतर्राष्ट्रीय उडान मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंच गई. विराज के पिता द्वारा मुझे मेसेज प्राप्त हुआ....
विराज के पिताजी डॉ. स्मितेश शाह उसे लेने एयरपोर्ट पहुंच गए थे. सोमवार 12 अगस्त को करीब 7.50 बजे विराज ठाणे में अपने घर लौट चुका था.
“पूरी घटना का अंत बहुत ही सुखद था.”
इस घटना से क्या सीखें ---
- अगर विराज को शंघाई से यात्रा की अनुमती नहीं दी जाती तो क्या होता?
- वह बच्चा कहां जाता ?
- संवाद के साधनों की कमी, भाषा की समस्या और 14 साल का एक अकेला बच्चा.
- भारतीय “सिम कार्ड” का वहां कार्यरत न होना.
- माता-पिता की घबराहट कि अब बच्चे के साथ क्या होगा..?
- हो सकता है यही हमारे बच्चों के साथ हो. कभी कभी हम दबाव में आकर सरकार, एयर लाईन, और अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा स्थापित किए गए नीयमॊं की अनदेखी कर देते हैं. ये दबाव या तो ट्रॅवल एजंट की तरफ़ से, समारोह के आयोजकों की तरफ़ से, खुद अभिभावकों की तरफ़ से होता है जिसके कारण मूलभूत औपचारिकताओं की तरफ़ हमारा ध्यान ही नहीं जाता है.
- नीयम हमारे बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाए जाते हैं. 12 साल से बडे बच्चे या तो किसी वयस्क व्यक्ति के साथ यात्रा करें या फ़िर एक सुरक्षा के घेरे में हों जैसे उसे छोडने कौन जाएगा, लेने कौन आएगा. यदि कोई अप्रिय घटना हो जाए तो उस समय बच्चे की जिम्मेदारी कौन संभालेगा. अभिभावकों को ये सभी जानकारी सुव्यवस्थित रुप से एयर लाईन को देनी चाहिए.
अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो संयम न खोते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए संबंधित अधिकारियों से, व्यक्तियों से संपर्क करना चाहिए.
विराज शाह बहुत ही बुद्धिमान लडका है. गणित की कई परिक्षाओं मे उसे छात्रवृत्ती मिली है. सितंबर के महिने में वो अमेरिका जाने वाला है.
इस छोटे बुद्धिमान भारतीय गणितज्ञ विराज शाह को मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं----
विराज शाह और उसके परिवार के साथ ठाणे (मुंबई) स्थित निवास पर - 13 अगस्त, 2019