चेम्बुर, मुंबई के, “रामचन्द्र कोचिंग क्लास” के श्री राकेश रामचन्द्र नंदा छुट्टियों में अपने परिवार के साथ इस्तांबुल (टर्की) गए थे. 12 सितंबर, 2019 को शाम को हॉटेल के कमरे में उन्हें दिल का दौरा पडा. उन्हें तुरंत इस्तांबुल के टंकिश हॉस्पीटल (Tankish Hospital) ले जाया गया. दुर्भाग्यवश वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
13 सितंबर को सुबह मेरे मित्र श्री ललित टेकचंदानी का फ़ोन आया. उन्होंने मुझे श्री राकेश रामचन्द्र नंदा जी की मृत्यु के विषय में जानकारी दी और उनके परिवार की मदत करने के विषय में मुझसे बात की.
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इस पारिवारिक यात्रा में श्री राकेश रामचंद्रजी के साथ उनकी पुत्री स्वाती वाधवानी, दामाद अमित वाधवानी भी थे. मैंने सबसे पहले स्वातीजी से प्राथमिक तौर पर बातचीत की.
इसके बाद तुरंत ही मेरी बात भारत सरकार के विदेश मंत्रालय विभाग के संबंधित व्यक्तियों से और अधिकारियों से हुई. साथ ही इस्तांबुल (टर्की) स्थित भारतीय दूतावास के Consulate General of India से भी मेरा संपर्क हुआ. मेरी जिन व्यक्तियों से बातचीत हुई वे थे ------
- श्री वी. मुरलीधरन, विदेश राज्य मंत्री
- श्री नंद कुमार, विदेश राज्य मंत्री के डेप्युटी सचिव
- श्री ओम प्रकाश, विदेश राज्य मंत्री के स्वीय सचिव
- श्री संजय भट्टाचार्य, टर्की में भारत के राजदूत
- श्री जे. पी. सिंह, Consul General, Istanbul
- श्री. संजय के. भारद्वाज, Consul (Consular & Community Welfare), Istanbul
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(स्वातीजी के साथ Whats App पर संवाद)
विदेश मंत्रालय को भेजा गया पत्र
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एक घंटे के अंदर मुझे विदेश मंत्रालय के श्री नंदकुमार ने सूचित किया कि इस्तांबुल के दूतावास के अधिकारियों को सचेत कर दिया गया है और वे कार्यरत हो गए हैं.
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जब इस प्रकार की घटना घटित होती है तब बहुतसी औपचारिकताओं की पूर्ती करनी पडती है. ऐसे समय में आपको निम्नलिखित व्यक्तियों से संपर्क करना चाहिए.
- भारतीय दूतावास
- स्थानीय अस्पताल
- स्थानीय पुलिस
- आप जिस शहर में रहते हैं वहां के आपके रिश्तेदार
- आपके शहर की पुलिस, नगरपालिका, महानगरपालिका, एअरपोर्ट अधिकारी.
- भारत सरकार का विदेश मंत्रालय
मैंने स्वयं, मेरे सहकर्मी, और मेरी टीम के सदस्यों ने श्री अमित वाधवानीजी के साथ मिलकर सभी औपचारिकताओं की पूर्ती हेतु काम शुरु किया.
मेरी अमित के साथ WhatsApp के माध्यम से हो रही बातचीत का स्वरुप इस प्रकार से था.
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यहां मैं यह कहना चाहता हूं कि श्री अमित बहुत ही सचेत और कार्यप्रवण थे. इस्तांबुल में बैठकर उन्होंने मेरे सहकर्मियों की मदत से सारी औपचारिकताएं पूर्ण की और घटना को सुयोग्य अंतिम परिणाम तक ले गए.
टर्की के भारतीय दूतावास ने हमें बहुत ही सहयोग दिया और वहां के अधिकारियों का काम बहुत ही प्रेरक था. भारत के टर्की में राजदूत श्री संजय भट्टाचार्य जी से मेरी WhatsApp पर बात हुई जो इस प्रकार थी --
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इस प्रकार की घटनाओं में कई प्रकार की औपचारिकताएं पूर्ण करनी पडती हैं जैसे स्थानीय अस्पताल, स्थानीय पुलिस, पोस्ट-मॉर्टम, स्थानीय अधिकारी, स्थानीय एअर-पोर्ट के अधिकारी भारत में आपके शहर के एअर-पोर्ट के अधिकारी. इस कार्यवाही को पूर्ण होने में एक से दो दिन तक लग सकते हैं. कभी कभी सरकारी छुट्टी होने के कारण स्थानीय ऑफ़िस बंद रहते हैं. श्री रामचंद्र नंदाजी के बारे में यही हुआ. 14 और 15 सितंबर को शनिवार और रविवार होने के कारण छुट्टी थी. ऐसी स्थिति में परिवार के सदस्यों को स्थानीय दूतावास के अधिकारियों को यह अधिकार प्रदान करना होता है कि वे आनेवाले कार्यदिवस में औपचारिकताएं पूर्ण करके पार्थिव शरीर को भिजवाने की व्यवस्था करें. श्री रामचंद्रजी की पत्नी श्रीमती सुनीता राकेश नंदा जी ने इस्तांबुल के भारतीय दूतावास के अधिकारियों को इस प्रकार के अधिकार-प्रदान का पत्र दिया. उनकी पुत्री स्वाती और दामाद अमित इस्तांबुल में ही रुके रहे और परिवार के बाकी सदस्य 13 सितंबर, 2019 शाम को हवाईजहाज द्वारा मुंबई वापस आ गए.
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श्रीमती सुनीता राकेश नंदा जी का पत्र
अगली सुबह भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने सभी औपचारिकताएं पूरी की और टर्कीश ऐअरलाईन द्वारा पार्थिव शरीर भिजवा दिया. 16 सितंबर को स्वाती और अमित भी उसी हवाईजहाज से रवाना हुए.
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पार्थिव शरीर को हवाईजहाज से गंतव्य शहर तक भेजते समय एअर-लाईन को वैद्यकीय औपचारिकताएं, पोस्ट-मॉर्टम, स्थानीय पुलिस और पासपोर्ट रद्द करने की औपचारिकता पूर्ण करने के साथ साथ गंतव्य शहर के अधिकारियों को भी कई प्रकार की औपचारिकताएं पूरी करनी पडती हैं और कुछ अनुमतियां भी लेनी पडती हैं. टर्कीश एअर-लाईन से रामचंद्र नंदा जी का पार्थिव शरीर भेजा गया था.
मुंबई एअर-पोर्ट पर टर्कीश एअर-लाईन का काम सेलेबी (M/s. Celebi) नामक कंपनी देखती है. पर्थिव शरीर प्राप्त करने के लिए No Objection Certificate और आवश्यक अनुमती इसी कंपनी के माध्यम से मिलती है.
मुंबई, सेलेबी (Celbi, Mumbai) के श्री सौरभ दल्वी जी ने पूरा सहयोग दिया. WhatsApp पर मेरा और उनका संवाद इस प्रकार था.
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No Objection Certificate/ अनुमती पत्र को जिस शहर से पार्थिव शरीर भिजवाया गया है, वहां भेजना होता है. मुंबई एअर-पोर्ट के चिकित्सा अधिकारी डॉ. पासी जी ने पूरा सहयोग प्रदान करते हुए No Objection Certificate (NOC) टर्कीश एअर-पोर्ट अधिकारियों को इस्तांबुल भेज दिया.
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टर्कीश एअर-लाईन के कार्गो विभाग के अधिकारी थे श्री राजबीर सिंह. उन्होंने भी पूरा सहयोग प्रदान किया.
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मुंबई महानगरपालिका में चेम्बुर के स्थानीय अधिकारी श्री पृथ्वीराज चव्हाण जी और उनके सहकर्मी श्री भोसले जी ने चेम्बुर शमशान भूमी में पर्थिव शरीर के अंतिम संस्कार हेतु सभी औपचारिकताएं पूर्ण की और अनुमती प्रदान की.
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निश्चित रुप से भारतीय दूतावास के अधिकारी और कर्मचारी प्रशंसा के पात्र हैं. उनका सकारत्मक दृष्टीकोण, मानवीय भाव, सहयोग की भावना और तत्परता से कार्य करने का गुण अद्वितीय है. चार दिनों के कठिन परिश्रम के बाद काम पूरा होने पर जब मैंने उन्हें धन्यवाद कहा तो भारतीय राजदूत श्री संजय भट्टाचार्यजी का बहुत ही विनम्रता से जवाब था “My team was doing its duty”. (मेरे सहाकारी तो अपना कर्तव्य कर रहे थे.)
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टर्की में भारतीय दूतावास के श्री जे. पी. सिंह (Consular General) कहते हैं
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कुछ अवलोकन और आभार
मुंबई एअर-पोर्ट पर GVK के जन-संपर्क अधिकारी श्री रणधीर लांबा जी ने बहुत मदत की. मेरे धन्यवाद कहने पर उन्होंने बहुत ही हृदयस्पर्शी शब्दों में जवाब दिया.
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श्री अमित वाधवानी, श्री राकेश नंदा जी के पार्थिव शरीर के साथ मुंबई में चेम्बुर स्थित उनके निवास पर पहुंचे और मुझे सूचित किया.
श्री अमित वाधवानी का संदेश इस्तांबुल से यह था –
“We are inside the plane. I am sold out to you for life. God bless you abundantly.”
(हम हवाई-जहाज में हैं. मैं जिंदगी भर के लिए आपको समर्पित हूं. भगवान आप पर अपरिमित कृपा दृष्टी रखे.)
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