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मुझे भी सुनना है  

किरीटनामा- 14

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9 साल का रेहान और 11 साल का इरफान जन्म से ही सुन नहीं पाते हैं. अक्सर शुरु में दो-तीन साल तक माता-पिता यह समझ नहीं पाते हैं की उनके बच्चे के साथ क्या समस्या है. किसी बडे डॉक्टर या ENT स्पेशालिस्ट के पास जाने के पश्चात जब समस्या के बारे में जानकारी मिल पाती है तब तक बच्चे की उम्र 5 साल के आस-पास हो जाती है.

बच्चे की उम्र चार-पाच साल की होने पर श्रवण-यंत्र या Cochlear Implant का ऑपरेशन करने के बारे में जब कोई निर्णय हो पाता है तब तक बच्चे की उम्र और भी बढ चुकी होती है. हमारे देश में कर्ण बधिरता के संदर्भ में लोग पर्याप्त रुप से जागृत नहीं हैं. इसी कारण ऐसे बच्चों की संख्या बढती ही जा रही है जो या तो बिल्कुल सुन नहीं पाते या फ़िर ठीक तरीके से सुनने में सक्षम नहीं हैं.

इसी प्रकार से जेष्ठ नागरिकों (जिनकी आयु साठ के पार हो चुकी है) के विविध अंग जीर्ण होने लगते हैं. घुटनों का ऑपरेशन, आंखों का मोती-बिंदु का ऑपरेशन..... इत्यादी करने पडते हैं. आमतौर पर चार जेष्ठ नागरिकों में से एक व्यक्ति को कान से ठीक तरह से सुनाई नहीं देता है. खास तौर से उनके लिए हमारा एक उपक्रम है जो भारतीय जनता पार्टी व युवक प्रतिष्ठान के माध्यम से पिछले 2 वषों से कार्यरत है, और वह है “ऐका स्वाभिमानाने” (सुनिए स्वाभिमान से). इस उपक्रम के अंतर्गत जेष्ठ नागरिकों को समाज सेवा की भवना से बहुत ही अल्प कीमत पर यानी धर्मदाय (Charitable) कीमत पर सिर्फ़ 500 रुपये में श्रवण-यंत्र (जिसकी बाजार में कीमत है 10,000 रुपये ), प्रदान किया जाता है. हजारों नगरिकों को आज तक हमने श्रवण-यंत्र वितरित किए हैं.

परंतु जो बच्चे जन्म से ही सुन नहीं पाते उनके लिए श्रवण-यंत्र बहुत ही महंगे होते हैं. जिन बच्चों के कानों की क्षमता में 90% तक कमी पाई जाती है, उनके लिए दोनों कानों के श्रवण-यंत्र की कीमत बाजार में 2 लाख रुपयों से 4 लाख रुपये तक होती है.

पिछली दिवाली से छोटे बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ श्रवण-यंत्र उपलब्ध कराने हेतु हमने एक नया उपक्रम चालू किया था “मला ही ऐकायचं आहे” (“मुझे भी सुनना है”). विश्व की सर्वश्रेष्ठ श्रवण-यंत्र बनाने वाली कंपनी “स्टारकी” के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री. रोहित मिश्राजी से इस विषय में चर्चा की. “स्टारकी” कंपनी के “स्टारकी फौंडेशन” और “युवक प्रतिष्ठान” ने संयुक्त रुप से कुछ छोटे बच्चों के लिए बहुत ही महंगे श्रवण-यंत्र धर्मदाय (charitable) यानि बहुत ही अल्प कीमत पर उपलब्ध कराने के संदर्भ में चर्चा की.

दो से चार लाख रुपयों के श्रवण-यंत्र बीस-पचीस हजार में इन बच्चों को उपलब्ध करा कर उनका भविष्य उज्ज्वल करने का हमारा प्रयत्न और संकल्प है. बहुत से लोग (Donor) युवक प्रतिष्ठान के “मला ही ऐकायचं आहे” इस उपक्रम की आर्थिक रुप से सहायता कर रहे हैं.

कुर्ला, जरीमरी के रहनेवाले हैं श्री पप्पू खान. वे अपने दोनों बच्चों, इरफान और रेहान के अपंग होने के प्रमाण-पत्र के नूतनीकरण हेतु मुंबई के जे. जे. हॉस्पिटल में गए थे. वहां उन्होंने हमारी संस्था द्वारा आयोजित “जेष्ठ नागरिकों के लिए श्रवणयंत्र वितरण” के कार्यक्रम का पत्रक देखा और हमारे कार्यालय से संपर्क करके और जानकारी प्राप्त की. 10 अगस्त 2019 वे अपने दोनों बच्चों को लेकर हमारे कार्यालय में आए.

उन्होंने मुझे बताया की उनके दोनों बच्चों को जन्म से ही बहुत कम सुनाई देता है. उन्होंने यह भी बताया की 2018 में “अली यावर जंग” नामक संस्था की तरफ़ से उनके दोनों बच्चों को श्रवण-यंत्र प्रदान किए गए थे. परंतु दोनों बच्चों की सुनने की क्षमता में कोई सुधार नहीं हुआ था. मैंने उन्हें बताया की जो श्रवण-यंत्र हमारी संस्था की तरफ़ से दिए जाते हैं वे जेष्ठ नागरिकों के लिए उपयुक्त हैं. छोटे बच्चों के लिए उनका कोई उपयोग नहीं है.

श्री पप्पू खान जी का आवेदन पत्र

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श्री. पप्पू खान, रेहान और इरफान और अपनी पत्नी को लेकर आए थे. दोनों बच्चों के देखकर सभी उपस्थित लोगों की आखों में आंसू आ गए थे. इरफान ‘लिप रिडिंग’ करने की कोशिश कर रहा था, मतलब जब कोई बात करता है तब ओठों की गतिविधियों को देखकर बात समझने की कला उसे अवगत थी. अटक-अटक कर जवाब देने का और बात करने का भी वह प्रयत्न कर रहा था. उससे छोटा रेहान अभी “लिप रिडिंग” सीखने की कोशिश कर रहा था.

दोनों बच्चों और उनके माता पिता की उत्कट इच्छा देखकर हमने भी संकल्प लिया की रेहान और इरफ़ान का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए, उनके माता-पिता और परिवार की इस उत्कट इच्छा की पूर्ती के लिए श्रवण-यंत्र की व्यवस्था करनी ही चाहिए.

हमने स्टारकी कंपनी, “स्टारकी फौंडेशन” व “युवक प्रतिष्ठान” संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत रेहान और इरफान को श्रवण-यंत्र देने का निर्णय लिया.

श्री. रोहित मिश्रा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टारकी”, को लिखा गया पत्र

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दोनों ही बच्चों के कानों की जांच करके “ऑडिओग्राम” रिपोर्ट बनाया गया.

इरफान का ऑडिओग्राम

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रेहान का ऑडिओग्राम

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दोनों ही बच्चों की श्रवणशक्ति में कमी (Hearing Loss) 90% से अधिक पाई गई. इसका अर्थ यह था की दोनों को ही उच्चतम श्रेणी के (Top Model) श्रवण-यंत्र की आवश्यकता थी. इस हेतु हमने बहुत से दान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं से अपील की. “बिईंग ह्युमन फौंडेशने” (Being Human Foundation) ने 40,000 रुपयों की मदत की. कुछ पैसे श्री पप्पू खानजी ने दिए. बाकी के पैसे हमारी संस्था “युवक प्रतिष्ठान” ने दिए. इसके बाद कानों की क्षमता की जांच, कानों के आकार का नाप लेना, श्रवण-यंत्र की जांच इस प्रकार की सारी प्रक्रिया पूरी कर 18 सितंबर को रेहान और इरफान को “स्टारकी” कंपनी के सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के (“मॉडेल”) के श्रवण-यंत्र दिए गए. दस दिनों तक कंपनी के ENT स्पेशालिस्ट के मार्गदर्शन के अनुसार इरफान व रेहान ने श्रवण-यंत्र को उपयोग में लाना प्रारंभ किया.

        दिनांक 28 सितंबर, 2019 को श्री. पप्पू खान अपनी पत्नी और बच्चों के साथ श्रवण-यंत्र लगाकर मुझसे मिलने आए. उनके चेहरे पर कृतज्ञता के भाव और  स्मितहास्य देखकर बहुत ही समाधान का अनुभव हुआ. मैंने उन्हें भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी.

पिछले 2 सालों से “मला ही ऐकायचं आहे” (मुझे भी सुनना है) इस उपक्रम के अंतर्गत हम छोटे बच्चों के लिए, उनकी श्रवण शक्ती सुधारने के लिए, श्रवण-यंत्र प्रदान करने की योजना क्रियान्वित कर रहे हैं.

        ऐका स्वाभिमानाने’ (सुनिए स्वाभिमान से) के अंतर्गत जेष्ठ नागरिकों को श्रेष्ठ प्रकार के श्रवण-यंत्र देकर उनका स्वाभिमान और आत्मविश्वास पुन: लौटाने का कार्य भी चालू है.

सारांश:

  • कोई व्यक्ति सरकारी जे. जे. अस्पताल में अपने बच्चों को लेकर जाता है, वहां उसकी नजर एक पत्रक पर पडती है, और वह किरीट सोमैय्या के कार्यालय की तरफ़ दौडा चला आता है—यही है समाज का हमारे प्रती विश्वास. इससे अधिक आनंद और समाधान क्या होगा. 
  • हमारे जैसे व्यक्तियों द्वारा एक उपक्रम चालू करने पर “स्टारकी” जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मल्टीनॅशनल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (दिल्ली) के श्री. रोहित मिश्राजी द्वारा हम पर व्यक्त किया गया भरोसा और संयुक्त उपक्रम के लिए उनके द्वारा संपूर्ण समर्थन और सहयोग प्रदान करना.    
  • विभिन्न निजी संस्थाओं द्वारा और CSR (Corporate Social Responsibility) के माध्यम से सामान्य लोगों की श्रवणशक्ती पुन: लौटा कर उनके जीवन में खुशी और आत्मविश्वास प्रदान करने के लिए सभी प्रकार की मदत करना.
  • अपनी उत्कट इच्छा के बल पर अपने बच्चों की श्रवणशक्ती लौटाकर उनके जीवन में खुशी फ़ैलाने के लिए और उनके उज्जवल भविष्य के लिए असिमित प्रयत्न करनेवाले श्री. पप्पू खान जैसे अभिभावक.

इन सभी व्यक्तियों की प्रेरणा से, इस प्रकार के विधायक कार्य करते हुए औरों के चेहरे पर खुशी देखकर, राजनीति में पैदा होनेवाली कटुता पर मात करके, उत्कट इच्छा के बल पर, पुन: समाज के प्रति उतराई होने का प्रयत्न करने के हमारे संकल्प को गती प्राप्त होती है. समाज के प्रति कुछ करने का आनंद ही हमारा विश्वास और संकल्प द्विगुणित करता है.

रेहान आणि इरफान के साथ श्री किरीट सोमैया

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