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सिस्टम का झटका

विलंब शुल्क के तौर पर लाखों रुपयों का जुर्माना

किरीटनामा- 18

· hindi

श्री. दक्षेश शहा गुजरात में अहमदाबाद के पास स्नेश रिसॉर्ट प्रा.लि. चलाते हैं. 1996 में उन्होंने वहां “वॉटर पार्क” चालू किया. 40 कमरों के रिसॉर्ट की धीरे-धीरे प्रगती हुई. 2018-19 में उन्होंने 60 नए कमरे बनाने का काम शुरु किया.

  • उस परिसर में स्नेश रिसॉर्ट बहुत ही प्रसिद्ध (Popular) है. 60 नए कमरों के लिए आवश्यक फर्निचर चीन से मंगाने का निर्णय श्री. दक्षेश शहा ने लिया. चीन की एक कंपनी को ऑर्डर दी गई.
  • 5 अक्टूबर 2019 को श्री. दक्षेश शहा का फर्निचर लेकर जहाज जेएनपीटी, नवी मुंबई (Jawaharlal Neharu Port Trust, Navi Mumabi) के बंदरगाह पर पहुंचा.
  • कस्टम क्लिअरन्स के कार्य के लिए स्नेश रिसॉर्ट ने श्री. हेमंत भाटिया नामक क्लिअरिंग एजंट की नियुक्ती की थी.
  • जहाज बंदरगाह पर पहुंचने के बाद 14 दिनों के अंदर अपना माल वहां से ले जाना चाहिए इस प्रकार का बंदरगाह का नीयम है.
  • विशिष्ट परिस्थितीयों में अतिरिक्त 7 दिनों की छूट दी जा सकती है.
  • एजेंट श्री हेमंत भाटिया को कस्टम से क्लियरंस लेकर 19 अक्टूबर 2019 जेएनपीटी से माल प्राप्त करके भिजवाना चाहिए था.
  • बंदरगाह पर जहाज आने के पश्चात ग्राहक का माल जेएनपीटीच्या के गोदाम (Godown)  में रखा जाता है.
  • स्नेश रिसॉर्ट का फर्निचर तुलसीदास खिमजी प्रा. लि. नामक कंपनी ने जेएनपीटी स्थित गोडाऊन में रखा था.
  • 21 दिनों के अंदर उस गोदाम से माल क्लिअर करा लेना पडता है, अन्यथा 200 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से प्रति कंटेनर का किराया विलंब शुक्ल के रुप में चुकाना पडता है.
  • इसका मतलब प्रतिदिन एक कंटेनर का किराया 14,000 रुपये बनता था. स्नेश रिसॉर्ट का 5 कंटेनर माल था.
  • 2 कंटेनर माल कस्टम से क्लीयरींग एजेंट श्री. हेमंत भाटिया ने कुछ दिनों में क्लिअर करवा लिया.
  • बचे हुए 3 कंटेनर जेएनपीटीच्या के गोदाम में ही रह गए.
  • 26 अक्टूबर 2019 से श्री. दक्षेशजी को जेएनपीटी गोदाम के किराए के रुप में प्रतिदिन एक कंटेनर के लिए 18% जीएसटी जोड कर 18,000 रुपये देने पड रहे थे. 3 कंटेनर माल अभी भी गोदाम में होने के कारण  54,000 रुपये प्रतिदिन श्री. दक्षेशजी को जेएनपीटीला को देने पड रहे थे.
  • क्लिअरिंग एजंट श्री. हेमंत भाटिया श्री दक्षेश जी को रोज नए-नए कारण बता रहे थे.
  • “कभी सर्वर डाऊन है, नेटवर्क नाही है तो कभी सिस्टम में कुछ गडबड है” इस प्रकार के कारण बताए जा रहे थे. 6 नवंबर को श्री. दक्षेशजी गुजरात के भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी व गुजरात सरकार के मंत्री श्री. प्रदीप सिंहजी जडेजाजी से संपर्क किया व उन्होंने श्री दक्षेशजी को मुझसे संपर्क करने की सलाह  दी.

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री. विजयजी रूपाणी के साथ  श्री. दक्षेश शहा

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  • 7 नवंबर 2019 रोजी श्री. दक्षेशजी का मुझे फोन आया. उन्होंने सारी जानकारी मुझे मेसेज पर भेजी. श्री. दक्षेशजी ने मुझे सभी तथ्य बतलाए और मुझे जेएनपीटी के संबंधित कस्टम अधिकारियों से संपर्क करने की विनती की.

श्री. दक्षेश शहाजी ने भेजी हुई जानकारी

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  • 8 तारीख को मैने संबंधित अधिकारियों से संपर्क स्थापित किया.
  • कस्टम कमिशनर
  • श्रीमती पल्लवी गुप्ता, कस्टम उपायुक्त
  • अतिरिक्त कस्टम कमिशनर
  • संबंधित कस्टम अधिकारियों ने परिस्थिती की जानकारी ली और सहकार्य देने का आश्वासन दिया.
  • कस्टम उपायुक्त श्रीमती पल्लवी गुप्ताजी ने 8 तारीख को सुबह 11 बजे मुझे फोन किया व श्री. दक्षेश शहाजी को मिलने बुलवाया.
  • 8 तारीख को श्री. दक्षेशजी उनके एक सहयोगी के साथ श्रीमती पल्लवी जी से मुलाकात की.
  • श्रीमती पल्लवीजी ने संबंधित अधिकारियों को बताकर स्नेश रिसॉर्ट की फ़र्निचर के  कस्टम क्लिअरन्स के लिए सभी प्रकार की मदत करने के निर्देश दिए.
  • इन दो दिनों में एक बात तो स्पष्ट हो गई की, इस घटना में कस्टम का दोष कम था परंतु कस्टम क्लिअरिंग एजंट श्री. हेमंत भाटिया की गैरजिम्मेदाराना हरकतें ही इसका कारण थी. कस्टम अधिकारियों ने बताया की उनके सिस्टम में कोई भी खराबी नहीं है. यह बात स्पष्ट हो चुकी थी की स्नेश रिसॉर्ट के क्लिअरिंग एजंट ने आवश्यक जानकारी जेएनपीटी के कस्टम विभाग के अधिकारियों को नही दी थी.
  • स्नेश रिसॉर्ट ने एक आवेदन पत्र कस्टम विभागा को  दिया जिसमें उपरोक्त सभी जानकारी थी. लेकिन ये सब होते होते 14 नवंबर आ गई.
  • 26 अक्टूबर से 15 नवंबर तक यानी 20 दिनों का किराया/ अतिरिक्त शुल्क (Demurrage)   स्नेश रिसॉर्ट के श्री. दक्षेश शहा को शिपिंग कंपनी को 50,000 रुपये प्रतीदिन के हिसाब से चुकाना था.
  • 20 दिन की देरी के कारण 10 लाख रुपये अतिरिक्त किराया श्री. दक्षेश जी को देना पडा.
  • 15 नवंबर को कस्टम विभाग ने श्री. दक्षेशजी का सारा माल क्लिअर करवाकर उन्हें सौंप दिया और यह बात स्पष्ट रुप से कही की शिपिंग कंपनी व कस्टम क्लिअरिंग एजंट की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के कारण और उनके द्वारा की गई देरी के कारण श्री. दक्षेश जी को 10 लाख रुपये अतिरिक्त चुकाने पडे.
  • कस्टम उपायुक्त श्रीमती पल्लवी गुप्ताजी ने श्री. दक्षेश को क्लिअरिंग एजंट व शिपिंग कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी. उन दोनों की इस प्रकार की गैर जिम्मेदाराना हरकतों के कारण और दूसरे लोगों का नुकसान न हो, इस हेतु से यह आवश्यक था.
  • श्री. दक्षेशजी ने डेस्टिनेशन मॅरेज के कार्यक्रम के लिए अपना 100 कमरों का संपूर्ण रिसॉर्ट एक ग्राहक को किराए से दिया था. दिसंबर-2019 के पहले सप्ताह में इस डेस्टिनेशन मॅरेज का आयोजन किया गया है. इसका अर्थ यह है की नवंबर-2019 के आखिरी सप्ताह तक रिसॉर्ट के सभी कमरों में फर्निचर इत्यादी का काम पूरा करके सभी कमरे पूरी तरह से तैयार हो जाने चाहिए.
  • शिपिंग कंपनी व कस्टम एजंट की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के कारण उस परिवार को बहुत ही बडी कठिनाईयों का सामना करना पडेगा जिन्होंने शादी के लिए रिसॉर्ट आरक्षित किया है और उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी होगी. स्नेश रिसॉर्ट का नाम खराब होगा. श्री. दक्षेशजी को इस बात की भी डर था की  7 दिनों के संपूर्ण रिसॉर्ट के किराए का भी नुकसान होगा.
  • श्री. दक्षेश शहा व हमारे मित्र गुजरातचे मंत्री श्री. प्रदीप सिंहजी जडेजा ने सारी परीस्थीती मुझे बतलाई थी, और यही  परिस्थिती मैने कस्टम अधिकारियों को समझाकर बताई.
  • कस्टम उपायुक्त श्रीमती पल्लवी गुप्ताजी ने स्वयं व्यक्तिगत रुप से ध्यान देकर कठिनाई से मार्ग खोजा. श्री. दक्षेशजी को सही तरीके से सहायता की. आखिरकार 15 नवंबर को शाम को 3 कंटेनर जेनपीटी से  स्नेश रिसॉर्ट अहमदाबाद की तरफ़ रचाना हुए.
  • 17 नवंबर 2019 को 3 कंटेनर अहमदाबाद के रिसॉर्ट पर पहुंचे.

श्री. दक्षेश शहा का संदेश

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अब फर्निचर को उचित तरीके से जोडकर उचित स्थान पर बिठाने का और कमरे तैयार करने का काम जोर शोर से शुरु हो जाएगा. 30 नवंबर तक श्री. दक्षेशजी का 100 कमरों का रिसॉर्ट दिसंबर के डेस्टिनेशन मॅरेज के लिए तैयार होगा.

सारांश:

  • समाज में विविध प्रकार के लोग होते हैं. अपनी स्वयं की जिम्मेवारी टालकर दूसरों को दोष देनेवाले, अधिक कमिशन व किराया पाने के लिए झूठ बोलनेवाले.
  • तुळसीदास खिमजी प्रा. लि.
  • कस्टम क्लिअरिंग एजंट श्री. हेमंत भाटिया
  • परिस्थिती को समझकर सामान्य जनता के व्यवसाय के लिए अपने द की जिम्मेवारी को समझते हुए, और कभी-कभी तो परीस्थिती को देखते हुए उससे भी परे जाकर व्यक्तीगत तौर पर सहयता करनेवाले और कठिन परीस्थिती से मार्ग ढूंढनेवाले भी लोग होते हैं.
  • सरकारी अधिकारी गैरजिम्मेवार होते हैं, स्वार्थी होते हैं, स्वार्थ साधे बिना वे कोई अनुकूल उत्तर नहीं देते” अक्सर इस प्रकार की धारणा हम सभी की होती है. इस परिस्थिती में कस्टम उपायुक्त श्रीमती पल्लवी गुप्ताजी जैसे अधिकारी अपने  पद की गरिमा के अनुरुप कार्य करते हैं.
  • प्रशासन आणि प्रशासकीय अधिकारी किस प्रकार के होने चाहिए इस बात का एक उत्तम उदाहरण श्रीमती पल्लवी गुप्ताजी ने हमारे सामने रखा है. श्रीमती पल्लवी गुप्ताजी का मैं समस्त समाज की ओर से आभार प्रदर्षित करता हूं और उन्हें धन्यवाद देता हूं.